सफर - मौत से मौत तक….(ep-43)
पुष्पाकली के एक बयान ने सारी बाजी पलट दी थी। जहाँ राजू, मन्वी , नंदू अंकल, गौरी और यमराज उम्मीद लगाए बैठे थे कि आज सब ठीक हो जाएगा इशानी की हकीकत सामने आ जायेगी और समीर इशानी की सच्चाई जान जाएगा, लेकिन सब उल्टा ही हो गया, इशानी के सारे आरोप मन्वी के ऊपर आ गए,
"अच्छा! तो ये सब इसकी चाल थी, मैं कभी सोच भी नही सकता कि किसी की मौत का इस तरह भी फायदा उठा सकते है लोग….अभी तक बहुत भाषण दे रहे थे आप अंकल….अब बोलो……खैर आप क्यो कुछ बोलोगे….आप के मार्गदर्शन का ही नतीजा है" समीर बोला।
"क्यो बोल रही हो ये सब तुम पुष्पाकली……अपने नही तो अपने बच्चों के बारे तो सोचो" बहुत ही विनम्रता से राजू बोला।
"ये अच्छा उपाय चुना है धमकाने का….देखा इंस्पेक्टर साहब, ये बाब- बेटी मिलकर मुझे जेल भिजवाने की साजिश में लगे थे, ताकि ये लोग इस घर पर राज कर सके….आखिर किराए में कब तक रहेंगे बेचारे" इशानी बोली।
"हम किराए पर ही खुश है इशानी! क्योकि हम सब एक दूसरे के साथ रहते है, खुशिया बड़े या छोटे घर से नही,घर मे रहने वाले लोगो से मिलती है।" मन्वी ने कहा।
"अब भाषणबाजी मत करो, और निकलो यहां से….इंस्पेक्टर साहब इन दोनो को धोखाधड़ी करने और रिश्वत देकर झूठ बुलवाने के आरोप में सलाखों के पीछे डाल दो….और ऐसा केस ठोको की चार पांच साल आराम से कट जाए" इशानी बोली।
पुलिस वाले ने दोनो को थाने चलने को कहा। सब बाहर को जाने लगे।
अरे यम्मु….कुछ करो….ऐसा कैसे हो सकता है, अगर इनपर केस लिख दिया तो समीर इशानी की तरफ से केस लड़ेगा और दोनो पति पत्नी मिलकर उन बाब बेटि को बिना किसी गुनाह के सजा दिला देंगे।" नंदू अंकल ने कहा।
"देखो मैं बीच मे नही आ सकता,जो करना है तुम करो….मेरे हाथ तो खड़े है" बोलकर यमराज ने हाथ ऊपर को खड़े कर लिए।
तभी गौरी की नजर इशानी पर पड़ी जो पुष्पाकली कि तरफ अंगूठा👍 उठाकर उसे शाबाशी दे रही थी।
दर्शल मामला कुछ ऐसा था………
दर्शल दो दिन पहले जब पुष्पाकली दर दर की ठोकरें खा रही थी तो एक दिन काम ढूंढते ढूंढते एक दिन गलती से मन्वी के कमरे में घुस गई, घर मे मन्वी की मम्मी गीता थी, राजू बाहर गया हुआ था और मन्वी स्कूल गयी थी पढ़ाने।
गीता पुष्पाकली को नही पहचानती थी, बस काम की तलाश में वहाँ आयी औरत और उसके पास तीन बच्चे देखकर दया आ गयी,
"तुम बैठो, मैं एक मिनट अपनी लड़की से पूछती हूँ " कहते हुए गीता ने मन्वी से फोन किया।
"हेलो मन्वी! वो कह रही थी की स्कूल में एक पीएन की जरूरत थी, अभी भी है क्या जरूरत" गीता ने पूछा।
"हां……है लेकिन आप क्यो टेंशन ले रही हो, मिल जाएगा कोई ना कोई।" मन्वी बोली।
"वो मेरे पास एक औरत आयी थी, बेचारी को बहुत जरूरत है काम की, और काम छूटने की वजह से मकानमालिक ने उससे कमरा खाली करवा लिया , ऐसे में ना उसके पास पैसे है ना काम….ना रहने के लिए मकान…." गीता ने कहा।
"चलो आप उसे रोककर रखो मैं पहुँचने वाली हूँ घर, मैं बात करके देखती हूँ" मन्वी ने कहा।
जब मन्वी घर पहुंची तो उसने पुष्पाकली को पहचान लिया पुष्पाकली मन्वी को देखकर वापस जाने लगी, लेकिन मन्वी ने उसे रोक लिया और कमरे में ले गयी।
"हाँ बोलो क्यो लिए थे उससे पैसे….उसने तुम्हे पैसे देकर ऐसा क्या काम कराया कि नंदू अंकल ने फांसी लगा ली" मन्वी ने सवाल किया।
"कुछ नही, बस ऐसे ही बच्चे के ऑपरेशन के लिए मांगे थे पैसे, लेकिन ऑपरेशन के बाद बच गए थे पैसे तो वापस करने गयी थी" पुष्पाकली ने सच छिपाते हुए कहा
"नंदू अंकल ने निस्वार्थ होकर हमेशा तुम्हारी मदद की है आंटीजी…. और आज आप उनके खातिर एक सच नही बोल सकते….मुझे पता है तुम्हे पछतावा है लेकिन पछताने से नंदू अंकल तुम्हे माफ नही कर देंगे, ना खुद तुम कभी खुद की नजरों में उठ पाओगी, इश्लिये अभी मेरा साथ दे दो….यकीन मानो तुमपर कोई बात नही आएगी, और हमारे स्कूल में पीएन की नौकरी में लगा दूँगी….सरकारी स्कूल है, तीन महीने में पक्की हो जाओगी अगर तुम्हारा काम पसंद आया तो सरकारी नौकरी लग जायेगी तुम्हारी, तुम्हारे बच्चे फ्री में पढ़ेंगे। ये सब सिर्फ तुम्हारे एक सच बोलने की कीमत है।" मन्वी ने कहा।
इसी बात पर पिघलकर पुष्पाकली ने सारी बात मन्वी को बता दी थी। अब मन्वी ने उसे सारा प्लान समझा दिया था।
और आज उसी प्लान के भरोसे मन्वी इतने कांफिडेंस से लड़ रही थी,लेकिन मन्वी ये बात नही जानती थी कि उनका प्लान बनने तक पुष्पाकली सिर्फ मन्वी के गुण गा रही थी….और पूरे दिल से उसका साथ देना चाहती थी। लेकिन एक फोन ने उसका सारा काम बिगाड़ दिया। वो फोन था इशानी का जो पुष्पाकली के पास आया था।
"कहाँ मर गयी है, फोन क्यो नही उठा रही…. "इशानी ने पुष्पाकली से कहा।
"आपने तो कहा था कि अब ना नजर आना , ना ही फोन करना " पुष्पाकली बोली।
"फोन मत करना कहा था, उठाना मत नही कहा था" इशानी बोली।
"कुछ काम है तो बोलो, मेरा दिमाग खराब मत करो" पुष्पाकली बोली।
अब पुष्पाकली इशानी से नही डरेगी, क्योकि उसे सहारा और सपोर्ट मिल चुका था मन्वी का। अब तक जो भी किया सब मजबूरी थी । कभी बच्चे की जान बचानी जरूरी थी तो कभी नौकरी….लेकिन इशानी ने अपना काम कराने के बाद पुष्पा को नौकरी से निकाल दिया था ताकि राज छिपा रहे, वही दूसरी तरफ मन्वी ने सारी बात पता होने के बाद भी सरकारी नौकरी दिलाने का वादा किया था।
"ओ हेलो….दो दिन में पंख आ गए तुझे….क्या हुआ इतना अकड़ कर किससे बात कर रही है" इशानी बोली।
"देखो मैडम….जब तक नौकरी पर थी तब तक आप मेरी मैडम थी, मेरी मालकिन थी, सुनना पड़ता था, अब तो आपका सारा पैसा भी वापस कर गयी मैं….इसलिये ना आपका कोई कर्ज है मुझपर ना कोई एहसान….बस बड़े मालिक का कर्ज रह गया है, जो शायद ही इस जन्म में चुका पाऊंगी" पुष्पाकली ने कहा।
"ज्यादा शरीफ मत बनना ठीक है….और अगर कोई खिचड़ी पका रही है तो पहले बता देना, क्योकि मैं अकेले नही हूँ उनकी मौत का जिम्मेदार, असली वजह तो तु है।" इशानी बोली।
"मैं सब जानती हूँ, आपने मुझे ये सब करने को मजबूर किया था, अब इसकी सजा तो आपको भुगतनी पड़ेगी" पुष्पाकली बोली।
"क्या कर लेगी, तू कुछ नही कर पायेगी….तुझपर यकीन ही कौन करेगा" इशानी बोली।
पुष्पाकली को मन्वी ने ये बात किसी को भी बताने से मना किया था, फिर भी पुष्पाकली ने गलती से इशानी को कह दिया कि- "मैं क्या कर सकती हूँ क्या नही ये तो तेरहवीं पर पता चलेगा, जब पुलिस अगर पकड़ेगी आपको"
"क्या मतलब है तेरा….और मुझे पुलिस ले जाएगी तो तुझे क्या छोड़ देगी….गलती से भी किसी पर भरोसा करके ये सच्चाई मत बता देना वरना मुझपर तो सिर्फ रिश्वत देकर झूठ बोलने का केश दर्ज होगा, लेकिन तूने जो ससुरजी पर जबरदस्ती करने की कोशिश का झूठा आरोप लगाया है……पता है जबरदस्ती करने के आरोप लगाने में भी उतनी ही सजा मिलती है जितना कि जबरदस्ती करने की कोशिश करने वालो को…. सात आठ साल तक जेल में सड़ोगी कोई छुड़ाने भी नही आएगा" इशानी बोली।
"अगर मैं जेल गयी तो आप भी तो जाओगे" पुष्पाकली बोली।
"मेरी बात सुन, मेरा पति वकील है, वो दुसरे दिन ही मेरी बेल करा लेगा, तुम्हारा कौन है यहाँ, और तुमने ये सब झूठ बोला था सुनकर तो समीर ऐसे ऐसे केस दर्ज कर देगा तुम्हारे खिलाफ की शायद ही जेल से रिहाई मिले, मुझे तेरी नही तेरे छोटे छोटे बच्चों की फिक्र हो रही है , वो तो बेचारे सड़क में भीख मांगेंगे" इशानी बोली।
खुद को जेल में और बच्चो को सिग्नल लाइट पर भीख मांगने की कल्पना करके ही पुष्पाकली कि रूह कांप गयी।
पुष्पाकली के पैर थरथर कांपने लगे थे, क्योकि उसने ये बात मन्वी को बता दी थी।
"लेकिन मैंने स्कूल की मेडम को सब बता दिया है , थोड़ा बहुत वो पहले से जानती थी और थोड़ा बहुत मैंने बता दिया है, , लेकिन उसने वादा किया है वो मुझे कुछ नही होने देगी" पुष्पाकली बोली।
"अब मरो….कर दी सारी गड़बड़……अब पिसते रहना जेल की चक्की….अगर बच्चे सिग्नल पर मीलेँगे तो कुछ छूटे मैं भी डाल दिया करूंगी उनके कटोरी में…." इशानी बोली।
"नही! ये नही हो सकता….मैं जेल नही जा सकती…." पुष्पाकली हकलाते हुए भयभीत होकर बोली।
"चल अगर जेल नही जाना है तो एक और चांस देती हूँ तुझे….लेकिन ये लास्ट चांस होगा" इशानी बोली।
"मैं सब करेगा,बस मुझे जेल जाने से बचा लो" पुष्पाकली बोली।
"उसका क्या प्लान है बताओ मुझे" इशानी ने कहा।
"वो परसो आपके घर सब मेहमानों के जाने के बाद आएगी और उसके बाद आप दोनो से सच उगलवाने की कोशिश करेगी, उसके बाद मुझे गवाह के रूप में पेश करेगी, पुलिस भी साथ मे होगी और आपका भांडा फूट जाएगा," पुष्पाकली ने मन्वी का प्लान बताते हुए कहा।
"मेरा भांडा फोड़ने के चक्कर मे तूने खुद के पैर में कुल्हाड़ी मार ली थी, वो तो अच्छा हुआ मुझे बता दिया वरना तुम जेल की चक्की पीस रही होती और आपके बच्चे सिग्नल में………"
"प्लीज बचने का उपाय बताओ, बार बार डराओ मत" पुष्पाकली बोली।
"शुरुआत से उसी के प्लान पर चलना है, बस लास्ट में जब गवाही देने की बारी आएगी तो तू पलट जाना और जो मैं तुझे समझा रही हूँ वही बोलना….और ध्यान रखना उसे शक ना हो कि तुम बयान बदलने वाली हो " इशानी ने कहा।
बस यही वजह थी कि सारा प्लान बदल चुका था। पुष्पाकली कि नजर के सामने आज फिर दो निर्दोष लोगों को पुलिस ले जाने लगी थी। यह पुष्पाकली कि दूसरा नाटक था, पहले नाटक ने बेगुनाह नंदू की जान ली थी तो दूसरे नाटक ने बेगुनाह मन्वी और उसके पापा को जेल का रास्ता दिखा दिया था।
और एक बार फिर चल साजिश जीतने लगी थी। और नंदू गौरी यमराज तीनो बस इन इंसानों का नाटक देख रहे थे।
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पुलिस वाले ने उन दोनों को अपने वैन में बिठाया और गाड़ी स्टार्ट कर दिया।
तभी मन्वी बोली "बस बस इंस्पेक्टर साहब अब सच मे थाने ले जाकर मानोगे क्या…."
शर्मा जी ने हँसते हुए इंजन ऑफ किया और कहा- "देखा कितनी घटिया किस्म की औरत है वो पुष्पाकली….और घटियापन में उसकी माँ है वो इशानी, दोनो को अब भी शर्म नही है, दोनो जानते है कि उनकी वजह से नंदू ने फांसी खाई , और दोनो जानते है कि उनकी गलती होकर भी दो निर्दोष लोग जेल जा रहे है, फिर भी खुद के दिमाग को सलाम किये जा रहे है।"
"मैं तो बस ये चाहती थी कि इशानी समीर के सामने अपना गुनाह कबूल करे, मगर वो तो बाजी ही पलट गई, वो तो अच्छा हुआ मैंने उस दिन पुष्पा का बयान लिया था उसकी चुपके से रिकॉर्डिंग कर ली थी जो आपको पहले सुना दी थी, वरना आज आप भी हमे गलत समझते" मन्वी बोली।
"नही मुझे पहले दिन ही इशानी पर शक था, क्योकि जिस दिन नंदू ने फांसी लगाई उसके पहली रात ही उसने नौकरानी को घर से निकाल दिया था। और समीर भी ये बात छिपा रहा था। और दोनो अलग अलग बात बता रहे थे, एग्जेट क्या हुआ था उस दिन दोनो में से किसी को नही पता था तो मुझे शक होने लगा था। मगर मुझे चुप रहना पड़ा क्योकि मेरे पास कोई सबूत नही था और समीर की जान पहचान थी कोर्ट कचहरी में,लेकिन आज साबित हो चुका है कि समीर अब भी अंधेरे में है और इशानी और पुष्पाकली नंदू के मौत की जिम्मेदार" शर्मा जी ने कहा।
"तो देर किस बात की, चलिए उनको एरेस्ट कर लीजिए" राजू ने कहा।
"नही पापा! पांच मिनट रुको, उन लोगो को उनकी जीत की खुशी होगी तभी तो उनको हराने में मजा आएगा" मन्वी बोली।
थोड़ी देर वैन में ही रहकर शर्मा जी ने शीट के नीचे से दो एरेस्ट वारंट निकाले जो वो पहले से लेकर आया था। क्योकि तय तो पहले से था कि मुजरिम कौन है,
अंदर सब लोग बैठे थे,
इशानी ने खुश होते हुए कहा कि कल से पुष्पाकली दोबारा इस घर मे काम कर सकती है। तभी डोरबेल बजी।
"जा पुष्पाकली खोल दरवाजा….कल से नही तुझे आज से रख लिया" इशानी बोली।
पुष्पाकली ने दरवाजा खोला तो पुलिस राजू और मन्वी खड़े थे।
"क्या हुआ इंस्पेक्टर साहब" इशानी और समीर एक साथ उठते हुए बोले।
"हमारे पास दो एरेस्ट वारंट है….एक मिस इशानी और एक पुष्पाकली के नाम का…." शर्मा जी ने कहा।
"ये क्या बकवास करने लगे हो शर्मा जी" समीर बोला।
शर्मा जी इशानी और समीर के सामने खड़े होकर एरेस्ट वारंट वकील साहब को दिखाता है, एरेस्ट वारंट की वैल्यू समीर से ज्यादा कौन समझ सकता था।
"लेकिन गलती तो इन दोनों की थी ना" समीर बोला।
"नही, मन्वी ने जो पहले बताया वो सब सच था, इशानी ने अपने झूठ पर पर्दा डालने के लिए सारा इल्जाम मन्वी ले ऊपर डाल दिया। और हमारे पास इसके ठोस सबूत है" शर्मा जी बोले।
"क्या सबूत है……शो मि…." समीर ने कहा
"कोई सबूत नही है इनके पास पास….ये सब झूठ बोल रहे है, जरूर मन्वी ने इस इंस्पेक्टर को भी पैसे खिला दिए है, और ये रिश्वत लेकर हमे एरेस्ट करने आया है" इशानी बोली।
इशानी के मुंह से खुद पर झूठा इल्जाम सुनते ही शर्मा जी का हाथ उठ गया, और इशानी के गाल पर एक जोर का थप्पड़ बजा….
शर्मा जी अपने हाथ को ध्यान से देख रहे थे, क्योकि उन्होंने जानबूझकर मारा नही था, ऐसा लगा किसी ने उनका हाथ पकड़कर बहुत जोर से इशानी के गाल पर पटका हो,
"कुछ भी करना लेकिन मुझपर झूठा इल्जाम मत लगाना, मैं तुम्हारा ससुर नही हूँ जो हर इल्जाम सहन कर जाऊंगा" बोला तो शर्मा जी ने ही था, लेकिन वो खुद कंफ्यूज थे कि उन्होंने ऐसा क्यो बोला।
तभी यमराज नंदू अंकल को पकड़कर पीछे को खींचने लगा - "अरे क्या कर रहे हो आप….पागल हो गए हो क्या"
नंदू अंकल बहुत गुस्से में नजर आ रहे थे, नंदू अंकल गुस्से में ही यमराज से बोले- " झूठा इल्जाम लगाने की कसम खा ली है इसने, इसे आज मैं नही छोडूंगा"
"इतना ही जोश था तो उस दिन मारते एक थप्पड़….उस दिन मारते तो आज ये दिन नही देखने पढ़ते, और तुम जानते भी हो तुमने शर्मा जी को कितनी बड़ी मुशीबत में डाल दिया है। एक पुलिस इंस्पेक्टर ने घर जाकर वकील को बीवी को मारी थप्पड़….कितना बड़ा आरोप लगेगा, और आपकी ये गलती इशानी को जीत दिलाकर मन्वी को हरा सकती है" यमराज बोला।
उधर समीर ने गर्म होते हुए पुलिस वाले का कॉलर पकड़ लिया। तभी पुलिस वाला बोला- "देखो मैं खुद पर झूठा आरोप बर्दाश्त नही कर पाता….सुनीता….पहले इन दोनों को हथकड़ी पहनाओ उसके बाद वकील साहब के सामने सबूत पेश करता हूँ।"
"जी सर" सुनीता नाम की महिला कांस्टेबल बोली।
"ठहरो….बिना सबूत के कोई हथकड़ी नही" समीर ने शर्मा जी का कॉलर कसते हुए कहा।
"आप छोड़ेंगे तो दिखाऊंगा ना" शर्मा जी बोले।
"पहले मेरा केस लिखो, मेरे घर आकर मेरी बीवी पर हाथ उठाया तुमने" समीर बोला।
"रिपोर्ट में थाने में लिखूंगा, एक तुम्हारी और एक अपनी भी की अपने घर बुलाकर मुझे मारने की कोशिश की तुमने….मन्वी फ़ोटो खींच ली ना वेरी गुड" शर्मा जी बोले।
मन्वी चौकते हुए- "हांजी खींच ली" जबकि उसके हाथ मे उसका मोबाइल भी नही था।
समीर ने झट से उसका कॉलर छोड़ दिया।
"ये आपका टीवी स्मार्ट टीवी है ना" शर्मा जी अब मुस्कराते हुए टीवी कि तरफ गए।
"हाँ तो" समीर बोला।
शर्मा जी ने टीवी ऑन करके अपने मोबाइल से कनेक्ट किया और पुष्पाकली और मन्वी के बीच हुई बात की रिकॉर्डिंग चला दी।
समीर इशानी के साथ साथ वहां मौजूद हर शख्स के पैरों तले जमीन ही खिसक गई।
अब इशानी के दूसरे गाल ओर समीर ने थप्पड़ मार दिया।
"यही सिला दिया….ये ही अंजाम मिला मुझे मेरे भरोसे का….क्यो किया तुमने ऐसा" समीर ने इशानी को डांटते हुए कहा।
पहले तो इशानी इस सबूत को भी झूठा ठहराने की कोशिश कर रही थी। लेकिन जब बात नही बनी तो उसे मजबूरन सच बोलकर अपना सारा दिल का उबार निकालने में भी देर नही लगी। उसे अब भी लगता था कि समीर उससे प्यार करता है,उसे बचाने की कोशिश करेगा।
"कब तक सुनती उस बूढ़े की बाते में….और तुम जो दिन प्रतिदिन उनका गुलाम बन रहे थे….मेरी बातें कम उनकी ज्यादा मानने लगे थे तुम… और मैं उन्हें सुसाइड करने के लिए मजबूर नही करना चाहती थी। बस उनके और आपके बीच एक मिसअंडरस्टेंडिंग की दीवार खड़ा करना चाहती थी बस, मुझे क्या पता की वो ये सब कर लेंगे" इशानी बोली।
"इंस्पेक्टर साहब ले जाओ इसे….और ऐसी सजा देना की जिंदगी भर याद रखे" समीर ने कहते हुए उसकी तरफ मुँह फेर लिया।
"समीर मेरी बात सुनो….समीर मैंने जो किया सिर्फ तुम्हारे लिए किया है" इशानी चिल्लाते हुए कहने लगी।
"प्लीज इंस्पेक्टर साहब इसे बोल दो की मुझे इसकी कोई बात नही सुननी….प्लीज इससे पहले में कुछ सजा दे दूं ले जाओ इसे" समीर बोला।
इंस्पेक्टर पुष्पा और इशानी को ले जाने लगे तो मन्वी ने पुष्पाकली से कहा- " मैं नही जानती की तुमने अपना बयान क्यो बदल दिया….लेकिन मैंने अब भी अपना इरादा नही बदला है, तुम्हारी सजा का असर तुम्हारे बच्चो पर नही पड़ेगा, उन्हें सरकारी स्कूल में अच्छी शिक्षा दिलवाऊंगी….ऐसी शिक्षा जिससे वो तुम्हारे बुढ़ापे में एक जेल से छूटी माँ को सहारा देंगे, ना कि उसे दर दर की ठोकर खाने देंगे, उससे प्यार से बात करेंगे, किसी और के लिए उसे अकेला नही छोड़ेंगे,"
मन्वी ने सब समीर को सुनाने के लिए कहा
"चलो पापा….हम भी चलते है" कहते हुए मन्वी भी निकल पड़ी।
इशानी और पुष्पा जेल को जेल की तरफ ले जाया गया।
समीर ने अपनी दोनो बुआओ की तरफ देखा तो वो भी समीर से नाराज होकर कमरे में चले गए।
सास ससुर तो अपनी बेटी कि तरफ थे वो कहाँ समीर से बात करते।
अब समीर भी अकेला हो गया था। उसकी बुआ लोग और सास ससुर भी उसे छोड़कर भाग गए, ,
समीर पापा के तस्वीर के सामने आया और मां की तस्वीर भी उनके बगल में टांकते हुए हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा।
"माँ मुझे माफ़ कर दो माँ…. आज पापा इस दुनिया मे नही है तो उसका जिम्मेदार सिर्फ में हूँ माँ……मैंने गलत लड़की पर भरोसा किया….मैं खुद कोई कभी माफ नही कर पाऊंगा" समीर ने कहा।
"तुम क्या हम भी तुम्हर माफ नही कर पाएंगे। तुम्हारी गलती माफी के काबिल नही है बेटा,
तुम्हे सजा तो भुगतनी पड़ेगी," गौरी ने कहा।
"अब वो भी जिंदगी भर के लिए अकेला हो गया है इससे बड़ी सजा उसके लिए क्या होगी….मैंने जो आखिरी के कुछ साल महसूस किए है तू वो महसूस करेगा तो तुझे मेरा दर्द समझ आएगा, तुझ जैसे औलाद के लिए अकेलापन और तन्हाई ही सबसे बड़ी सजा है…लेकिन देखना ये है कितने दिल से माफी मांग रहा है और कितने दिन तक तेरे दिल मे पछतावा रहता है " नंदू ने कहा।
"ये तो रोता रहेगा….इसको छोड़ो हमारा वापस जाने का समय हो चुका है, बस धरती लोक में रहकर ये दुआ करो कि अगले जन्म में ऐसी कलियुगी औलाद के जन्म लेने से अच्छा कोई जन्म ही ना ले, क्योकि सहारा तो जो जीवनसाथी देगा वो हर किसी की औलाद नही दे पाएगी……लोग अपना सबकुछ भुलाकर अपने बच्चों पर कुर्बान कर देते है, उन्हें यही लगता है उनका जो कुछ भी है यही है बस लेकिन औलाद ये बात नही समझती।" यमराज ने कहा और तीनों आकाशगंगा कि तरफ उड़कर चले गए।
अब समीर ने अपने किये पर शर्मिंदा होकर ये शहर ही छोड़ दिया और एक अजनबी शहर में चल पड़ा, आजकल काम की तलाश में घूम रहा है, हाथ मे एक अटैची लिए, अटैची में ज्यादा समान नही था, दो तीन जोड़े कपड़े, एक माँ की तस्वीर तो दूसरी पापा की, और एल एल बी के सर्टिफिकेट।
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कब से उसको ढूंढता हूँ भीगी पलकों से यहाँ
अब न जाने वो कहाँ है,था जो मेरा आशियाँ
रब्बा मेरे मुझको बता, दी मुझे क्यों यह सज़ा
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अब सारे बंधन तोड़ के यादों को तनहा छोड़ के
मैं गम से रिश्ता जोड़ के जाऊं कहाँ..
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एक छोटा सा जहाँ था चंद खुशियों से भरा
उसको मुझसे छीन कर है मिल गया तुझको भी क्या
अब है फकत सिर्फ जान, कर दूँ मैं वो भी अता
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अब सारे बंधन तोड़ के यादों को तनहा छोड़ के
मैं गम से रिश्ता जोड़ के जाऊं कहाँ..
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THE END
कलियुगी औलाद
थेँक्स सभी पाठकों का। उम्मीद है आपको ये कहानी जरूर पसंद आई होगी।
जिसने यूट्यूब पर इस कहानी का ट्रेलर नही देखा है
वो
SANTOSH BHATT SONU नाम के यूट्यूब चैनल पर इसकी वीडियो देख सकता है, जो पूरी कहानी समझने में मदद करेगी।
थेँक्स
HENA NOOR AAIN
22-May-2022 06:28 PM
Nice
Reply
Amir
13-Mar-2022 01:08 AM
अच्छा है
Reply
Rakash
06-Jan-2022 05:28 PM
Nice स्टोरी
Reply